The Ultimate Guide To hindi kahaniyan

hindi kahani

''एक राजा निरबंसिया थे”—माँ कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पाँच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढ़ाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुंदर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः ग़ौरें रखी जातीं, जिनमें कमलेश्वर

कहानी के लेखक ही नहीं पाठकों की संख्या में भी वृद्धि हुई, इस युग के जिन

साहित्यिक रूप है। इस कहानी को हमने कभी दादी-नानी के मुख से लोक कथा के रूप में

युग की आरम्भिक कहानियाँ पुराने स्वरूप की थी। जिनका कथानक अलौकिक चमत्कारों से

बड़े-बड़े शहरों के इक्के-गाड़ीवालों की ज़बान के कोड़ों से जिनकी पीठ छिल गई है, और कान पक गए हैं, उनसे हमारी प्रार्थना है कि अमृतसर के बंबूकार्ट वालों की बोली का मरहम लगावें। जब बड़े-बड़े शहरों की चौड़ी सड़कों पर घोड़े की पीठ चाबुक़ से धुनते हुए, इक्के वाले कभी चंद्रधर शर्मा गुलेरी

बात, चार घर, मोहन राकेश की - 'मलबे का मालिक', राजेन्द्र यादय

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रामप्रसाद घिल्डियाल पहाड़ी ने मनोवैज्ञानिक कहानियों के

अपितु 'कहानी', नई कहानियाँ ' कल्पना', सारिका' संचेतना, कहानियाँ आदि

कहानी की रचना की समय की दृष्टि से यह सबसे पुरानी कहलाती हैं परन्तु आधुनिक कहानी

पश्चात् नये युग में हिन्दी कहानी की दो प्रमुख शाखाएँ उभरकर आयी। इनमें एक शाखा

एकता में शक्ति एक प्रेरणा देने वाली हिन्दी कहानी

साहित्य के प्रेमचन्द स्कूल के वृहद्व्रयी कहलाते हैं- (हिन्दी साहित्य का सुबोध

मूर्ख बगुला और नेवला : पंचतंत्र की कहानी 

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